सावधान! आंखों की रोशनी छीन लेगा ये मोबाइल, स्कूली बच्चों में बढ़ा Myopia का खतरा; आपके बच्चे की भी तो ये आदत नहीं?
हैदराबाद की एक 30 साल की महिला का ये रोज का रूटीन था और अचानक एक रात उसे मोबाइल ही नहीं, कुछ भी दिखना मुश्किल होने लगा. डॉक्टरों ने उसकी परेशानी को Computer Vision Syndrome का नाम दिया है.
आपमें से जितने लोग भी सोने से पहले मोबाइल में WhatsApp अपडेट, Instagram Feed, Facebook पोस्ट वगैरह-वगैरह चेक करने वाले हैं, ये खबर उन सबके लिए है. सोचिए आपने लाइट्स ऑफ की और फिर सोने से पहले मोबाइल चेक करने लगे और अचानक आपको दिखाई ही देना बंद हो जाए तो? ऐसा सच में हुआ है. हैदराबाद की एक 30 साल की महिला का ये रोज का रूटीन था और अचानक एक रात उसे मोबाइल ही नहीं, कुछ भी दिखना मुश्किल होने लगा. डॉक्टरों ने उसकी परेशानी को Computer Vision Syndrome का नाम दिया है. घंटों तक स्क्रीन देखने से होने वाली बीमारियों की लिस्ट बहुत लंबी है लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित हमारी आंखें होती हैं.
बच्चों पर मंडरा रहा मायोपिया का खतरा
AIIMS के नेत्र रोग विभाग के अनुमान के मुताबिक स्कूली बच्चों में भी मोबाइल की स्क्रीन से चिपके रहने से रोशनी धीरे धीरे कम हो रही है. 2015 में किए गए एम्स के आकलन में 10 प्रतिशत स्कूली बच्चों में मायोपिया (Myopia) की बीमारी देखी गई थी लेकिन 2050 तक भारत के लगभग आधे तकरीबन 40 प्रतिशत बच्चे मायोपिया की बीमारी के शिकार हो चुके होंगे. इस बीमारी में पास की चीजें तो ठीक दिखती हैं लेकिन दूर की चीजें धुंधली दिखने लगती हैं. क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है? घर में मां-बाप अक्सर टोकते हैं कि टीवी पास से मत देखो. नज़र कमजोर हो जाएगी. दरअसल, अगर आप देर तक पास की चीजों जैसे मोबाइल, किताब या नजदीक से टीवी स्क्रीन पर फोकस करते रहते हैं तो दूर की नजर धुंधली होने लगती है. आंखों की दूर तक फोकस करने की आदत कम होती जाती है. जब भारत के प्रधानमंत्री को भी ये सलाह देनी पड़े कि बच्चे स्क्रीन टाइम में कटौती करें तो आप समझिए कि समस्या कितनी बड़ी हो चुकी होगी. हाल ही में मन की बात कार्यक्रम में पीएम मोदी ने बच्चों को स्क्रीन टाइम कम करने की सलाह दी.
Vivo ने किया सर्वे
हालांकि मामला केवल बच्चों का नहीं है. ज्यादातर लोग ये बहाना बनाते हैं कि मोबाइल काम की वजह से जरूरी हो चुका है तो एक मोबाइल फोन बनाने वाली कंपनी का सर्वे सबकी पोल खोल रहा है. वीवो कंपनी के इस सर्वे के मुताबिक,
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फोन पर वक्त काट रहे लोगो में से -
- 76 प्रतिशत लोग फोटो और वीडियो देखने के लिए इन साइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं
- 72 प्रतिशत लोग पुराने दोस्तों से कनेक्ट करने के लिए सोशल मीडिया इस्तेमाल करते हैं
- 68 प्रतिशत लोग खबर देखने के लिए सोशल मीडिया साइट्स का इस्तेमाल करते हैं
- 66 प्रतिशत लोग मनोरंजन के लिए फोन का इस्तेमाल करते हैं.
आंखें खोलने वाली रिपोर्ट देखकर आपको समझ आ जाएगा कि आपकी आंखें मोबाइल की स्क्रीन से चिपके रहने की वजह से कितना कुछ झेल रही हैं और अगर स्क्रीन से चिपकना कम नहीं किया तो देश का भविष्य कैसे अंधेरे की ओर धकेला जाएगा.
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07:11 PM IST